घृणित सबा के आँखों में मैं पानी बन छिप जाऊंगा
वो आंसू जो बहे तो लंहू बन जाए पर बहार कभी ना मैं आऊंगा
(सबा: हवा का झोका, घृणित: जो खुद को घृणा करता हो)
टप-टप रोए घृणित सबा जब याद उसे मैं आऊंगा
तब ललाट की शिकनों में छिप, एक सोच सा बन जाऊंगा
(ललाट: माथा, forehead, शिकनों: माथें पर पड़ी निशान)
घृणित सबा के आँखों में मैं पानी बन छिप जाऊँगा
और उसके चाहने पर भी बाहर कभी ना मैं आऊंगा
इस मठमैली दुनिया को मैं उसे छान-छान दिखलाऊंगा
घृणित सबा के आँखों के आगे मैं जल-कवच सा बन जाऊंगा
(मठमैली: गंदी, छान: साफ़ कर के, जल-कवच: a sheild of water)
तरल, निर्मल, शीतल सा यूही मै जीवनव्यतीत कर पाउँगा
घृणित सबा के आँखों में मैं पानी बन छिप जाऊँगा
(जीवनव्यतीत : जीवन बिताना)