एक राह पर मिले, है अनेक बुलबुले,
फट जाते, लुट जाते, मिट जाते,
है फिर भी, अनेक फूल एकता में है खिले
देश ये अपना है, वतन भी तो अपना है,
देश ये अपना है, वतन भी तो अपना है,
फिर भी नेताओ को ही दोष क्यों दिए,
देश जो अपना है, दोष भी ये अपना है,
भूलना ना जो कहर हमने है किये
दिल में जो दर्द है उसे वोट बन जाने दो
वोह परदे में है छुपा
वोह परदे में है छुपा
पर्दा फाश हो जाने दो
ये आस है मेरी इसे हकीकत बन जाने दो |
Friday, March 26
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