कश्ती कश्ती बदल पहुचे हैं आज वोह किनारे
द्वारपाल पुछा भवसागर का स्वाद तो बता प्यारे
(द्वारपाल :दरवान, भवसागर: ocean of life )
पर जो पानी में कभी उतरा न हो वोह क्या बताता
डूबने का ग़म और तैरने की खुशी कैसे समझाता
खुसरो कह गए थे इश्क दरिया है, डूब के जाना है
पर आज के दौड़ में किसने उसे माना है
(खुसरो: आमिर खुसरो, तेरहवी सदी के मशहूर कवी)
(खुसरो: आमिर खुसरो, तेरहवी सदी के मशहूर कवी)
दुत्कार दिए गए वो फिर, स्वर्ग से युधिस्ठिर के कुत्ते की तरह
जिस पानी में जन्मे है उससे ही बचते रहे कुकुरमुत्ते की तरह
(कुकुरमुत्ते: mushroom)
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