आ गया चुनाव है
बिक रहा हर गाँव है
हर जगह तनाव है ..
वोटो की लूट है
किसका वादा झूठ है
क्या गठबंधन अटूट है
बट रहा शराब है
काले धन का ब़स बहाओ है
क्या गाँधी का यह ख़ाब है
नेताओ की जेब हरी
आज चमचो की जेब भरी
पर पब्लिक है डरी डरी
यह कैसा लोकतंत्र, कैसा यह चुनाव है
जनता चाहती बदलाव है
कौन है इसका ठेकेदार, है कोइ जिम्मेदार
बातों के सब ब़स शेर है,
ज़िम्मेदारी दो तो ढेर है
तो कैसा ये लोकतंत्र, कैसा ये चुनाव है ...
कैसा ये लोकतंत्र, कैसा ये चुनाव है ||
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